क्या तुम वापस आ गयी ? zeba Praveen द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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क्या तुम वापस आ गयी ?

क्या तुम वापस आ गयी ?

मुख्य पात्र

डॉ साहिल

आलिया

डॉ विवेक

कहानी का आधार -ये कहानी एक डॉक्टर की हैं जिसका दो साल पहले तलाक हो चूका हैं जिसे अब भी यक़ीन हैं कि उसकी पत्नी उसके पास वापस आ जाएगी डॉक्टर साहब एक शांत स्वभाव के व्यक्ति हैं|

वो कहते हैं :-लोगो के बीच रहते हुए भी मैं खुद को अकेला महसूस करता था हर पल मुझे भीड़ डसती था, डिबोस के बाद पता नहीं ऐसा क्यूँ लगता था जैसे की मेरी पूरी दुनिया उजड़ सी गयी है...."

मेरी शादी के बस दो साल हुए थे,अचानक से पता नहीं क्या हुआ?,सब कुछ ख़त्म हो गया मेरी जीने की वजह ख़त्म हो गयी हैं लेकिन दिल में तब भी एक उम्मीद थी के वो वापस ज़रूर आएगी,लेकिन अब तो उसने दूसरी शादी भी कर ली है फिर भी न जाने क्यूँ मेरा दिल मानने को तैयार नहीं था.................

(हालांकि डॉक्टर अपनी पूरी कहानी बताने में कतराते हैं लेकिन उनके बातो से सच्चाई साफ़ झलकती हैं की वो अपनी पत्नी से बहुत प्यार करते थे)

वो कहते हैं - मैं एक सरकारी हॉस्पिटल का सर्जन हूँ,मैंने जान बूझ कर अपनी ड्यूटी नाईट में शिफ्ट में करवाया था ताकि मैं भीड़-भाड़ से दूर रहूं,मैंने अपनी दूसरी शादी इसलिए नहीं कि क्यूंकि मैं अपनी आलिया से बहुत प्यार करता हूँ और उसकी जगह मैं किसी को नहीं दे सकता,तो क्या हो गया अगर वो थोड़ी सी बेवफा निकल गयी तो,मैं उससे कभी बेवफाई नहीं करूँगा |

-वो मुझे कॉलेज के समय से ही जानती थी,शादी के बाद वो बस दो साल तक मेरे साथ रही थी और हमारा एक बच्चा भी था जो दो महीने तक ही जीवित रह पाया था हमारे बच्चे के मरने के बाद आलिया को बहुत सदमा भी लगा था और मैंने उसको ख़ुश रखने के लिए पता नहीं क्या-क्या किया,( मुस्कुराते हुए) लगता है उसको मुझसे भी अच्छा जीवन साथी मिल गया होगा तभी तो मुझे छोड़ क़र चली गई.........., पता नहीं वो अलग होने की ज़िद क्यूँ करने लगी थी(हलकी स्माइल करते हुए) मैंने भी उसे दो महीने के अंदर ही हमारे रिश्ते से आज़ाद कर दिया था,

अब तो हमारे डिबोस के भी पांच महीने हो गए है,उस बेवफा से अलग होकर तो मैं एक ज़िंदा लाश बन चूका हूँ एक ऐसी लाश जो सिर्फ चल फिर सकती है फिर भी खुद को मुर्दा समझती है जिसमे रूह होने कि वजह से दफनाया भी नहीं जा सकता,पता नहीं ये कम्बख्त रूह कब मेरा साथ छोड़ेगी और कब मैं चैन की नींद सो पाउँगा |

28 नवंबर को रोज़ की तरह उस दिन भी मैं एक उदास मन के साथ अपने जॉब पर पहुंचl,एक ईमानदार डॉक्टर की तरह मैं अपने कर्तव्य को निभा रहा था हॉस्पिटल में पंहुचा तो पता चला एक इमर्जेन्सी केस चल रहा था,मुझे उसके लिए जल्दी बुलाया भी गया था लेकिन किसी काम कि वजह से मैं आ नहीं पाया ,हॉस्पिटल के स्टाफ से पता चला कि एक औरत और उसका पति फ्लाईओवर पर एक ट्रक के चपेट में आ गए थे,जिससे दोनों बुरी तरह घायल हो चुके थे,जब उसे लाया गया तबतक औरत लगभग मर चुकी थी लेकिन उसके पति को बचाया जा चूका था अब से मेरी ड्यूटी थी,ओवर लेने के बाद मैं थोड़ी देर अपने केबिन में बैठा और पानी पी कर आई.सी.यू में चला गया,अभी तक दोनों के घर वाले नहीं पहुंचे थे,उस औरत को पोस्टमार्टम के लिए ले जा चुके थे,लगभग ग्यारह बजे तक सारे पेशेन्ट को देखने के बाद मैं अपने केबिन में चला गया,मैं सोच रहा था पता नहीं,मेरी किस्मत कब ऐसी होगी कि उस औरत कि तरह मेरी रूह भी मुझे अकेला छोड़ देगी,और मैं चैन की नींद सोता रहूँगा हमेशा के लिए

उतने में दूसरे डॉक्टर उस केबिन में आये- और डॉक्टर साहब क्या चल रहा हैं,

-“हम तो कम्बख्त वही पर हैं पर साली समय बदल गयी हैं”

-आज कल तो डॉक्टर साहेब बहुत शेरो शायरिया करने लगे है,वैसे ये आप पर बहुत जचता हैं.....,डॉक्टर साहब जिंदगी बहुत लम्बी हैं कितना भी अकेले रहो किसी न किसी मोड़ पर एक जीवन साथी की ज़रूरत पड़ ही जाती हैं इसलिए कहता हूँ अपना अतीत भूल कर एक नए सिरे से अपनी जिंदगी शुरू कीजिये,अभी आप की उम्र ही क्या हैं......आप जैसे के लिए तो सैकड़ो दूसरी आलिया मिल जाएगी बल्कि उससे बेहतर मिलेगी,...................”

(उतने में एमर्जेन्सी का हॉर्न बजा ,बाहर निकलने पर पता चला की फ्लाईओवर पर एक्सीडेंट हुए पेशेन्ट की हालत बहुत नाज़ुक थी,इसलिए डॉक्टर्स को बुलाया जा रहा था )

उस पेशेन्ट का दुबारा छोटा ऑपरेशन होना था,उसका ऑपरेशन करने के बाद डॉक्टर साहब अपने केबिन की तरफ आते हैं,रात होने की वजह से हॉस्पिटल में सन्नाटा पसरा हुआ था,ज़्यादा तर डॉक्टर्स "डॉक्टर्स रूम" में बैठे हुए थे और डॉ साहिल भी चाहते थे की अपना पानी का बोतल और डिनर लेकर उसी रूम में चले जाए,लेकिन रास्ते में ही थोड़ी देर के लिए लाइट चली गयी थी,तबतक उन्होंने अपने फोन की लाइट ऑन कर ली थी लेकिन जैसे ही केबिन के पास पहुंचे लाइट दुबारा आ गयी,डॉक्टर साहिल ने अपना बोतल और बैग उठाया और केबिन बंद करने के लिए चाभी निकाली,उतने में केबिन में पड़ा पानी का जग टेबल पर गिरा,डॉक्टर पीछे मुड़ कर देखते हैं और सोचते हैं की ये जग अपने आप कैसे गिर गया,वो पानी फाइल तक जा रहा था,डॉक्टर ने उस फाइल को पानी से अलग रखा और सफाई वाले को साफ़ करने के लिए फोन करने लगे,फोन लगाते समय फोन से घड़-घड़ की आवाज आने लगी थी वो आवाज़ इतनी तेज़ थी के डॉक्टर चौक कर फोन रख देते हैं और केबिन बंद करके वापस डॉक्टर्स रूम की तरफ जाते हैं,रास्ते में चलते समय ऐसा महसूस हो रहा था की कोई साथ-साथ चल रहा था डॉक्टर पीछे मुड़ कर देखने लगते हैं,उन्हें ये अहसास किसी अपने की याद दिला रही थी,डॉक्टर को लग रहा था जैसे की उसकी आलिया उसके साथ चल रही थी,इस बात को अनदेखा करते हुए डॉक्टर उस रूम में चले जाते हैं,वहां बैठे डॉक्टर्स सभी आपस में बाते कर रहे थे,डॉ साहिल के आने बाद सब का ध्यान उन पर जाता हैं और फिर से सभी लोग उसे शादी को लेकर समझाने लगे थे।

ऐसे ही बाते करते-करते समय बीत रहा था लेकिन डॉ साहिल को अपने केबिन में गिरे जग पर ध्यान जा रहा था और उस अहसास की याद आती हैं जिसे किसी अपने की याद दिला रही थी ऐसे ही बाते करते-करते सभी डॉक्टर अपनी जगह पर नींद की झपकी लेने लगते हैं,सुबह छह बजने के बाद सभी डॉक्टर्स राउंड पर निकलते हैं,डॉ साहिल भी आई. सी. यू. में जाकर मरीज़ो को देखने लगते हैं,उस समय ही कल दिन में फ्लाईओवर पर एक्सीडेंट हुआ आदमी,आलिया-आलिया करके चिल्लाने लगा था,डॉ साहिल उसके पास जाते हैं और उसे दिलाशा देने लगते हैं:-

मरीज - डॉक्टर साहब मेरी पत्नी कहाँ हैं,उसे बहुत चोट लगी थी वो ठीक तो हैं न....?"

डॉ साहिल-"कामडाउन,आप आराम कीजिये,सब ठीक हो जायेगा"

मरीज़ -"डॉक्टर मेरी बीवी कैसी,आप बोलते क्यूँ नहीं....?"

डॉ साहिल –“आप की बीवी अब इस दुनिया में नहीं रही,सॉरी हम सब ने बचाने कि बहुत कोशिश की थी लेकिन.....”

मरीज़-"नहीं,नहीं ....मेरी आलिया को कुछ नहीं हो सकता,वो मुझे यूँ अकेला छोड़ कर कभी नहीं जा सकती,डॉक्टर आप झूट बोल रहे हैं (रोते हुए )आप बताइये न मेरी आलिया कहाँ हैं...?"

(कंधे पर हाथ रखते हुए)डॉ साहिल –“देखिये,आप सम्भालिये अपने आप को,ये सच हैं”

वो आदमी अपनी जगह पर ज़ोर ज़ोर से चीखने चिल्लाने लगा)

"नो....नो,मुझे तुम अकेला छोड़ कर नहीं जा सकती,कैसे जीऊंगा मैं तुम्हारे बिना......"

उतने में एक नर्स आकर उसे बेहोशी का इंजेक्शन लगा देती हैं ।

डॉ साहिल अपने केबिन में जाते है, रात का ओवर लिखने के लिए....

वो थोड़ी देर अपनी कुर्सी पर बैठ जाते हैं और उस आई.सी.यू में रो रहे पेशेंट के बारे में सोचने लगते हैं "क्या आलिया नाम की सारी औरते बेवफा होती हैं जो हम जैसे लोगो को अकेले छोड़ कर चली जाती हैं,आज फिर से कोई अपनी आलिया के लिए तड़प रहा हैं"

इतने में एक डॉक्टर आते हैं और ओवर लेने के बाद चले जाते हैं डॉक्टर साहिल भी अपने घर के लिए निकल जाते हैं,घर पहुंचने के बाद अपने बैग को हेंगर से टांग देते हैं और फ्रेश होने जाते हैं और आने के बाद फ्रीज़ से जैम निकाल कर ब्रेड के साथ खाने लगते हैं,नास्ता करने के बाद डॉ शाहिल टीवी ऑन करके बेड पर लेट कर देखने लग जाते हैं,टीवी देखते-देखते उनकी आँखे लग जाती हैं और वो सो जाते हैं,लगभग दो घंटे बाद वो बहुत घबरा कर उठते हैं और देखते हैं तो टीवी अपने आप बंद हो चूका था,पड़ोस वाले से पता करने पर पता चलता हैं कि थोड़ी देर के लिए लाइट गयी हुई थी,डॉ साहिल आँख बंद करके थोड़ी लम्बी साँस लेते हैं और अपना घर लॉक करके दुबारा हॉस्पिटल चले जाते हैं,जाते ही रिसेप्शन पर बैठे लड़के से पूछते हैं-“कल दिन में जितनी डेथ हुई थी उसकी लिस्ट निकालो...”

(रिसेप्शनिस्ट बहुत आश्चर्य से डॉक्टर को देख रहा होता हैं) वह उनके सामने डेथ की लिस्ट निकाल कर रख देता हैं)

कल शाम को जो फ्लेवर पर एक्सीडेंट हुआ था और जो लेडी मरी हैं उनका नाम बताओ?

रिसेप्शनिस्ट ढूंढ रहा होता हैं उतने में वहां पर दूसरे डॉक्टर्स आ जाते हैं-डॉ साहिल आप गए नहीं(डॉक्टर साहिल उनसे बाते करने लग जाते हैं )

रिसेप्शनिस्ट-"आलिया,आलिया नाम था उस लेडी का"

डॉ साहिल-"उसका कोई अड्रेस हैं?"

रिसेप्शनिस्ट-"जी सर,पहाड़ गंज का हैं"

डॉ साहिल-पहाड़ गंज,उसकी डेथ बॉडी कहाँ हैं?

रिसेप्शनिस्ट-सर एव्री थिंग इस ओके,आप काफी परेशान लग रहे हैं ?

डॉ साहिल-न”हीं कुछ भी ओके नहीं हैं,मुझे इस औरत की डेथ बॉडी देखनी हैं”

रिसेप्शनिस्ट-“सर वो तो पोस्मार्टम के बाद मोरचरी में रख दी गयी हैं,वैसे सर बात क्या हैं?"

रिसेप्शनिस्ट-तुम ऐसा करो गार्ड को मोरचरी के पास भेजो,मैं वही जा रहा हूँ........"

डॉ साहिल के जाते ही डॉ विवेक आते हैं जो उनके अच्छे दोस्त भी थे,रिसेप्शनिस्ट उनको डॉ साहिल के बारे में बताते हैं,डॉ विवेक उनको ढूंढते-ढूंढते उनके पास पहुंच जाते हैं:-

(आवाज़ लगते हुए)डॉ विवेक -"डॉ साहिल.........."

डॉ साहिल रुक जाते हैं,और फिर उनको अपने केबिन में ले जाकर सारी बाते बताते हैं

डॉ विवेक-हूँ.....तो आप को लगता हैं कल जो आलिया नाम की लेडी मरी हैं वो कोई और नहीं आप की एक्स वाइफ हैं,डॉक्टर साहब एक नाम की हज़ारो औरते होती हैं इससे ये साबित नहीं हो जाता कि वो वही आलिया हैं"

-"वो इसी शहर में रह रही थी "

- "वो आप को छोड़ कर जा चुकी हैं अब आपको भी उसे भूल जाना चाहिए "

-"वो वापस आ गयी हैं,मैंने उसे कई बार अपने साथ होते हुए महसूस किया हैं,और वो भी एक साये की तरह,वो मेरे सपने में आयी थी मैंने उसकी लाश देखी हैं इसी हॉस्पिटल में...."

-"क्या....,ये आप क्या बहकी-बहकी बाते कर रहे है,एक डॉक्टर के ऐसे अल्फ़ाज़ अच्छे नहीं लगते हैं,पहले तो मुझे उसके मरने वाली बात हज़म नहीं हुई थी और अब आत्मा....."

-"आप मेरे साथ चलो मैं उसकी डेथ बॉडी दिखता हूँ आपको"

-"अरे डॉक्टर साहब,अब आप सपने को बीच में ला रहे हैं"

-""अगर मैं गलत हुआ तो आई होप वो ज़िंदा होगी"

-"ठीक हैं चलिए,आप भी अपने मन की शंका दूर कर लीजियेगा"

(दोनों मुर्दा घर में जाते हैं,डॉ साहिल की कही हुई बाते सच निकली,वो आलिया नाम की औरत कोई और नहीं डॉ साहिल की एक्स वाइफ ही थी,डॉ साहिल निचे बैठ कर जी भर कर रोते हैं,डॉ विवेक भी लाश देख कर शॉक्ड रह जाते हैं)

डॉ साहिल-पहले तो यह सोच कर जी रहे थे कि तुम जहाँ भी हो खुश हो,ठीक हो,लेकिन अब किसके सहारे जीऊंगा तुमने तो मुहसे वो हक़ भी छीन लिया हैं,शायद तुम कभी जान ही नहीं पायी के मैं तुमसे कितना प्यार करता था (ये कह कर डॉ साहिल फूट-फूट कर रोने लगते हैं)

डॉ विवेक उनको वहां से बाहर लेकर चले जाते हैं और उन्हें उनके घर तक छोड़ देते हैं डॉ साहिल अपने कमरे में जाते हैं,और जाने के बाद बेड पर लेट जाते हैं और आलिया के साथ बिताये पलो को याद करने लगते हैं,उतने देर में उनके घर की बिजली चली जाती हैं,घर में एक अजीब सा माहौल बन जाता हैं चारो तरफ अँधेरा होता हैं,डॉ साहिल समझ जातें हैं की आलिया की आत्मा फिर उसके पास आयी हैं वो फिर से आलिया के होने का अहसास करने लगते हैं और वो इस अहसास में इस तरह लीन हो जाते हैं की उनको गहरी नींद आ जाती हैं और वह सो जाते हैं|

Continue……..